MD भारत न्यूज, रायपुर। पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की पत्रकार वार्ता से स्पष्ट हो गया कि भाजपा नहीं चाहती कि राजभवन आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर करे। बृजमोहन अग्रवाल ने अपनी पत्रकार वार्ता में एक बार भी नहीं कहा कि आरक्षण विधेयक पर तत्काल निराकरण हो। वे बार-बार विधेयक के संबंध में अनावश्यक बातें करते रहे लेकिन विधेयक पर राजभवन हस्ताक्षर करे? हस्ताक्षर क्यों नहीं हो रहा? इस संबंध में भाजपा की ओर से कुछ नहीं कहा गया। यह इस बात को साबित करने के लिये पर्याप्त है कि भाजपा आरक्षण विधेयक को कानून बनने से रोकने का मंशा रखती है। भाजपा आरक्षण किलर पार्टी, मोदी कैरियर किलर पीएम है। राज्यपाल ने खुद होकर हस्ताक्षर करने की बात कहा था फिर विधेयक क्यों रुका है? किसके कहने पर रुका है? सरकार के 10 सवालों के जवाब के बाद भी हस्ताक्षर क्यों नहीं हो रहा है? यह सब भाजपा की साजिश है। भाजपा कांग्रेस को श्रेय न मिले इसलिये हस्ताक्षर नहीं होने दे रही है।
कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि भाजपा आरक्षण विधेयक पर अपना मत स्पष्ट करें वह आरक्षण संशोधन विधेयक के किस पहलू से असहमत और क्यों राजभवन में आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने दे रही है?
भाजपा को आदिवासी समाज को दिये गये 32 प्रतिशत आरक्षण पर आपत्ति है अथवा वह अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये किये गये 27 प्रतिशत आरक्षण से असहमत है? भाजपा को इस बात का विरोध है कि नये आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति के लिये किये गये 13 प्रतिशत आरक्षण के लिये विरोध कर रही है? या गरीब सवर्णों के 4 प्रतिशत आरक्षण के विरोध में भाजपा है। भाजपा की नीयत आरक्षण पर शुरु से संदिग्ध है।
बिलासपुर हाईकोर्ट में 58 प्रतिशत आरक्षण को बचाने के लिये तत्कालीन भाजपा सरकार ने ननकीराम कंवर की कमेटी और मुख्य सचिव की कमेटी की सिफारिशों को अदालत के सामने क्यों नहीं रखा? इन कमेटियों के बारे में छुपाने की भाजपा की क्या मंशा थी? ननकी राम कंवर कमेटी के सदस्य बृजमोहन अग्रवाल और केदार कश्यप भी थे बताये क्या छुपाने कमेटी को अदालत के सामने नहीं लाये?
जो आरक्षण संशोधन विधेयक छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित हुआ है। वह पूरी तरह से विधिसम्मत, न्याय संगत और तर्क संगत है। इस विधेयक को छत्तीसगढ़ विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया है अर्थात् राज्य की शत प्रतिशत जनता इसके समर्थन में है। इसको रोकना जनमत का अपमान है।
आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं होगी यह निर्णय इंदिरा साहनी प्रकरण के सुप्रीम कोर्ट में दिया था। लेकिन मोदी सरकार ने 50 प्रतिशत आरक्षण के बाद लोकसभा में कानून बनाकर 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के आरक्षण को लागू करवा कर उस सीमा को पार कर दिया। आज देश में 60 प्रतिशत आरक्षण लागू है। ईडब्ल्यूएस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही मान लिया अर्थात् सुप्रीम कोर्ट भी 50 प्रतिशत की सीमा को पार करने की सहमति दे चुकी है फिर छत्तीसगढ़ के 76 प्रतिशत आरक्षण को किस आधार पर गलत बताया जा रहा है?
आरक्षण बढ़ाने संबंधी विधेयक जब कर्नाटक विधानसभा में पारित होता है तब वहां पर राज्यपाल हस्ताक्षर करते है जब वैसा ही आरक्षण विधेयक छत्तीसगढ़ विधानसभा और झारखंड विधानसभा में पारित किया जाता है तो राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करते है। कर्नाटक में आपकी सरकार ने विधेयक बनाया श्रेय आपकी पार्टी (भाजपा) को मिलेगा तो वहां ठीक छत्तीसगढ़, झारखंड में कांग्रेस की सरकार है वहां आप विरोध कर रहे।
आरक्षण विधेयक को भाजपा के इशारे पर राजभवन में रोका गया है। भाजपा नहीं चाहती कि छत्तीसगढ़ में आरक्षण लागू हो लोगों को न्याय मिले इसीलिये राजभवन से हस्ताक्षर नहीं होने दे रही।
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