MD भारत न्यूज रायपुर। नेशनल मेडिकल कमीशन इंडिया के द्वारा चिकित्सा महाविद्यालयों में गैर चिकित्सकीय व्यक्तियों को चिकित्सा महाविद्यालय में चिकित्सा शिक्षक के रूप में नियुक्ति करने पर फार्माकोलॉजी एवम माइक्रोबायोलॉजी विषय में पूर्णतः रोक लगा दी गई थी और एनाटोमी बायोकेमिस्ट्री एवम फिजियोलॉजी विषय में इनकी नियुक्ति संख्या घटा कर मात्र 15% कर दी गई थी एवम यह केवल चिकित्सकीय शिक्षकों की अनुपलब्धता की स्थिति में ही किया जा सकता था।
किंतु कोर्ट की कार्यवाही के चलतेआज पर्यंत यह लागू नही हो सका है। जिसका खामियाजा चिकित्सा छात्र छात्राओं एवम चिकित्सा जगत को उठाना पड़ रहा है क्योंकि चिकित्सा जगत का भविष्य चिकित्सा स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र छात्राएं ही होते है और यदि उनकी शिक्षा दीक्षा गैर चिकत्सकीय लोगो के द्वारा होगी तो चिकित्सा जगत का भविष्य अंधकारमय होना निश्चित है।
आल इंडिया प्री एंड पैरा क्लिनिकल मेडिकोज एसोसिएशन के संयोजक डा पीयूष भार्गव ने बताया कि गैर चिकित्सकीय लोग जो की ग्रेजुएशन में बेसिक साइंस की पढ़ाई करके भी चिकित्सा महाविद्यालय में घुसने का प्रयास करते हैं और काम सैलरी में भी कार्य करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
किंतु चिकित्सा जगत के भविष्य के साथ खेलवाड़ कभी भी बर्दाश्त नहीं होना चाहिए।
इसी प्रणाली का विरोध करने के लिए आल इंडिया प्री एंड पैरेक्लिनिकल मेडिकोज एसोसिएशन के द्वारा नई दिल्ली में एनएमसी कार्यालय के समने विरोध प्रदर्शन एवम जंतर मंतर में विरोध प्रदर्शन एवम पैदल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया गया। इस विरोध प्रदर्शन को देश भर के अन्य चिकित्सा संगठन जो की देश एवम प्रदेश स्तर के संगठन का समर्थन प्राप्त हुआ और इस प्रदर्शन में देश भर से बड़ी संख्या में चिकित्सक सम्मिलित हुए।
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